Chintu
ये कहानी उस वक़्त क़ि हैं जब में B. tech में था। या फिर यों कहिए क़ि चिन्टू 8th क्लास में पड़ता था। जैसा क़ि हम सब लोग जानते हैं 13 साल का बच्चा कैसा होता हैं। या यों कहिए कैसा होना चाहिए, मेरे मुताबिक़ 13 साल के बच्चे को चिन्टू होना चाहिए।
चिन्टू के बचपन को देखकर लगता था उसमे और मुझमे बहुत फर्क हैं। उसके साथ गुजारा हर एक पल याद हैं में उसे अपना छोटा भाई, एक पडोसी, या एक दोस्त या कभी बच्चे क़ि तरह समझता था और समझता हुँ। मैंने उसे हमेशा वास्तविकता ही सिखाई थी और कहता था की जिद्दी बनो और जिद्द ऐसी होनी चाहिए जो वाज़िब हो। जो हो रहा हैं उसपर जल्दी से भरोसा नहीं करना चाहिए। खैर जाने दो में आपको बताना चाहता हुँ की चिन्टू को बहुत तेज गुस्सा आता था मतलब इतना तेज की वो अपने हाथ दीवार पर मरने लग जाता था। मुझे याद हैं उसके एग्जाम चल रहे थे और साइंस का पेपर अगले दिन होना था। चिन्टू मेरे पास साइंस की बुक लेकर आया करीब दोपहर का समय होगा कुछ चैप्टर अच्छी तरह से पड़े थे, फिर वो हुआ जो नहीं होना चाहिए था वो खाना खाने अपने घर गया और जाते ही चिन्टू की मम्मी ने कहा पुरे दिन इधर से उधर घूमता ही रहेगा या पड़ेगा भी और थोड़े वक्त ही बाद उसके पापा ने कहा पड़ भी ले थोड़ा बहुत साइंस का एग्जाम हैं फेल मत हो जाना। चिन्टू थोड़ी देर बाद फिर से बाहर आया उसके हाथ में किताब भी थी और मैंने भी उसे कह दिया पड़ भी लिया कर भाई थोड़ा बहुत इधर उधर घूमने से कुछ नहीं होगा। इतना कहते ही मानो उसकी आँखों से आग निकल रही हो और सीधा भागता हुआ अपने घर में घुस गया। में उसकी आँखें देखकर समझ गया था की कुछ होने वाला हैं में तुरंत उसके पीछे पीछे आ गया वहा पर देखा उसकी मम्मी कह रही थी पढ़ाई भी करले बाहर ही घूमता रहेगा। उसका गुस्सा हाई लेवल पर जा चुका था आँखों से आँसू और दीवार पर घूंसे मारने लगा सामान भी तोड़फोड़ दिया फिर उसकी मम्मी मेरे से कहा देखो ये ऐसे करता हैं इसको समझा दिया करो और फिर मैंने चिन्टू को पकड़ लिया फिर मैंने कहा ये कोनसा तरीका हैं में तुझे बहुत समझदार समझता हुँ। तेरी ये हरकत देखकर लगता हैं की में गलत हुँ इतना कहते हुए उसे मैंने गले लग लिया और कहा की गुस्सा थूक दें चिन्टू ने वहीं अपने घर में ही थूक दिया और ये सब देखकर में और चिन्टू का छोटा भाई हसने लगे माहौल थोड़ा हल्का सा हो गया फिर मैंने उसे कहा की अपनों मम्मी को सॉरी बोल कर आ मगर वो मना करता रहा नहीं बोलूंगा बहुत समझाने के बाद उसने सॉरी वोला और आज मुझे लगता हैं शायद चिन्टू ने पहली बार और आख़री बार सॉरी बोला होगा।उसके बाद मैंने उसकी बुक ली और पहले चैप्टर से लेकर लास्ट तक प्रशन पूछने शुरू करदिये यकीन मानो उसने सारे आंसर ठीक ठाक दें दिए थे। फिर में उसके घर से अपने घर आ गया। सूरज ढल चुका था और फिर से मेरे पास चिन्टू आगया में कुर्सी पर बैठा था वो मेरे उप्पर ही आकर बैठ गया। और फिर में और चिन्टू जो पुरे दिन हुआ उसे याद करके हॅसने लगे और उसने मुझे चूमलिया। कुछ देर बाद उसके घर से आवाज़ आई। चिन्टू.... चिन्टू... चिन्टू
जिसने भी ये छोटी सी स्टोरी पढ़ी हो उनसे कहना चाहूंगा आपके घर के आस पास भी कोई चिन्टू होगा उसका ध्यान रखें.।
This is dedicated to my loving neighbor chintu
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